Modi Yogi in Gujarat गुजरात में मोदी-योगी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लेकर जो सवाल उठे थे क्या उनका समाधान हो गया? चुनाव से पहले यह चर्चा थी कि अमित शाह बहुत दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योगी का तेजी से उभरना उनकी नंबर दो पोजिशन के लिए ठीक नहीं है। हालांकि चुनाव के बाद इस तरह की कई कहानियां मीडिया में आईं कि नतीजों से शाह का कद बढ़ा है और उन्होंने भाजपा की जीत में सबसे अहम भूमिका निभाई है। लेकिन क्या इससे इस सवाल का जवाब मिल गया कि शीर्ष पर मोदी-योगी हैं या मोदी-शाह हैं? योगी अभी भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य नहीं हैं इसलिए तकनीकी रूप से उनका कद संसदीय बोर्ड के सात मौजूदा सदस्यों के बाद ही होगा लेकिन वास्तविक अर्थों में उनका कद इस आधार पर नहीं नापा जा सकता है। Modi Yogi in Gujarat
इसकी चर्चा अभी इसलिए हो रही है क्योंकि उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल पिछले दिनों गुजरात दौरे पर गईं तो उन्होंने सूरत में एक कार्यक्रम में मोदी-योगी की जोड़ी का जिक्र किया। राज्यपाल ने कहा कि ‘मोदी-योगी की जोड़ी कोई नहीं तोड़ सकता है, कोई नहीं’। सोचें, कौन है, जो मोदी-योगी की जोड़ी तोड़ना चाहता है, जिसके बारे में राज्यपाल ने कहा कि कोई नहीं तोड़ सकता? एक सवाल यह भी है कि क्या कोई राज्यपाल इस तरह के राजनीतिक बयान दे सकता है? ध्यान रहे आनंदी बेन उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं इसलिए वे देश के किसी भी हिस्से में जाएं तो राज्यपाल ही रहेंगी। ऐसा नहीं हो सकता है कि वे अपने गृह राज्य में जाकर भाजपा की नेता बन जाएंगी।
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सूरत में दिया उनका बयान राजनीतिक था और गहरे मायने वाला था। उन्होंने जब कहा कि मोदी-योगी की जोड़ी कोई नहीं तोड़ सकता है तो उसके साथ यह भी कहा कि इसे हासिल करने में काफी लोगों ने समर्थन दिया है। उन काफी लोगों में क्या वे खुद भी शामिल हैं? आनंदी बेन ने यह भी बताया कि सूरत से भी काफी लोग उत्तर प्रदेश गए थे प्रचार के लिए। सो, एक तो उन्होंने विशुद्ध राजनीतिक बयान दिया और उसके बाद पार्टी के अंदर के गतिरोध को भी उजागर किया।
ध्यान रहे गुजरात की राजनीति को जानने वाले सबको पता है कि अमित शाह और आनंदी बेन पटेल की नहीं बनती है, जबकि आनंदी बेन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद करीबी माना जाता है। आनंदी बेन के राज्य का मुख्यमंत्री बनने और हटने फिर उनकी जगह अमित शाह के करीबी विजय रूपानी के मुख्यमंत्री बनने और अब फिर आनंदी बेन के करीबी भूपेंद्र पटेल के मुख्यमंत्री बनने की राजनीति शाह और आनंदी बेन के राजनीतिक अहम के टकराने की कहानी है। सो, अगर आनंदी बेन आज मोदी-योगी को प्रमोट कर रहीं हैं तो यह एक नए अध्याय का संकेत है।
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